चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है…” अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें तो दर्द को छुपा कर हँसने की कोशिश करता हूँ। मेरी पलकों का अब नींद से कोई ताल्लुक नही रहा, हजारों लोग हैं मगर कोई उस जैसा नहीं है। दिल की गहराइयों https://youtu.be/Lug0ffByUck